Hanuman Chalisa | “संपूर्ण विधी एवं के रहस्यमयी फायदे.

Hanuman Chalisa | शुद्ध हनुमान चालीसा

hanuman chalisa

hanuman chalisa जीवन का मुक्तिधाम है ।  कई पुराणो मे यह उल्लेख भी किया है।    हनुमान चालीसा को प्राचीन और पवित्र हिन्दू धर्म का महामंत्र मना जात है,जिसे रामायण रचियता महामुनी तुलसीदास ने रचा था। आपको शायद पता नही पर इस मंत्र का पाठ एवंम श्रवण मात्र से जीवन हमेशा के लिये सुखदायी बन जात है । हम पर भगवान हनुमान कि कृपा और आशीर्वाद बना रहता है, इस लेख में, हम हनुमान चालीसा के हनुमान चालीसा पठण करणे कि सही विधी तथा महत्व को और भी गहराई से जानेंगे और साथ हि यह जानेंगे कि यह आपके जीवन को कैसे सुखमय बना सकता है। पर उसके पहले हम हनुमान चालीसा का पठण कर लेते है।  या फिर नीचे दिये गये लिंक से मोबाईल मे hanuman chalisa pdf को डाउनलोड कर सकते है । या फिर hanuman chalisa lyrics को व्हिजिट कर सकते है

🕉🕉 हनुमान चालीसा || दोहा || 🕉🕉

श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि |

बरनऊँ रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि ||

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरो पवन-कुमार |

बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार ||

अर्थ : मुनी तुलसीदास जी गुरु की पावन पद स्पर्श कर आशीर्वाद से अपने तन,मन,मुख,और मनोबुद्धि को शुद्ध करके भगवान हनुमान की महिमा का गान करने की प्रार्थना करते हैं,जिससे मनचाहा फल मिल जय

🕉🕉 हनुमान चालीसा || चौपाई  १ से ४१ || 🕉🕉

चौपाई || 1 ||

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर | 
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ||

अर्थ : हनुमान जी की जय-जयकार कर उनकी महिमा का वर्णन किया है। जो ज्ञान और गुण के सागर हैं और तिनों लोकों में उजागर है,जिन्हे सबसे शक्तिशाली और पवित्र मना जाता है।

चौपाई || 2 ||

राम दूत अतुलित बलधामा | 
अंजनी पुत्र पवन सुत नामा ||

अर्थ : हनुमान जी के भक्ति की प्रशंसा करते हुए कहा गया है की, श्री हनुमान अंजनी के पुत्र है, जो भगवान श्रीराम जी के परम भक्त हैं और उनके लिए एक दूत के रूप में आए हैं।

चौपाई || 3 ||

महावीर विक्रम बजरंगी | 
कुमति निवार सुमति के संगी ||

अर्थ : हनुमान जी के वीरता और उनके गुणों का वर्णन करते हुए कहा गया है की, श्री हनुमान जी को कई नमो से जाना जाता है वह एक नाम बजरंगी है । जो सबसे बलशाली है जिन्होंने काफी विक्रम किये है । जो हमेशा अच्छे लोगोसंग होते है,जिनकी कुमति नष्ट कर उन्हें सुमति प्रदान करते है ।

चौपाई || 4 ||

कंचन बरन बिराज सुबेसा | 
कानन कुण्डल कुंचित केसा ||

अर्थ : हनुमान जी के सौन्दर्य का वर्णन करते हुए कहा गया है की,जो सोने के बर्ण में है। जिनके कान में कुंडल हैं जिससे उनका आकर्षण और शोभा और भी बढ़ जाती है।

चौपाई || 5 ||

हाथ ब्रज और ध्वजा विराजे | 
काँधे मूँज जनेऊ साजै ||

अर्थ : हनुमान जी की शक्ति का वर्णन करते हुए इस चौपाई में कहा गया है की,उनके हाथ में बज्र (वज्रायुद्ध) और ध्वजा (झंडा) है, जिससे उनकी अद्भुत शक्ति प्रकट होती है। कंधों पर मूँज जनेऊ (यज्ञोपवीत) सजे हैं, जिससे उनकी आदर्श और धार्मिकता प्रकट होती है।

चौपाई || 6 ||

शंकर सुवन केसरी नंदन | 
तेज प्रताप महा जग वंदन ||

अर्थ :श्री हनुमान जी को शंकर और केसरी के पुत्र भी है । इसलिए वे बड़े तेजस्वी और महा प्रतापी है ।

चौपाई ||7 ||

विद्यावान गुणी अति चातुर | 
राम काज करिबे को आतुर ||

अर्थ : हनुमान जी की गुण और चातुर्य की,प्रशंसा इस चौपाई में वर्णन की गयी है। श्री हनुमानजी सर्व गुण संपन्न ओर अति चतुर है जो भगवान श्रीराम जी के हर काम प्रति आतुर होते हैं।

चौपाई || 8 ||

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया | 
राम लखन सीता मन बसिया ||

अर्थ : हनुमान जी श्रीराम की कथाओं का आनंद हमेशा आनंद लेते है। हनुमान जी के मन में सदा भगवान श्रीराम,लक्ष्मण और सीता जी का वास है।

चौपाई || 9 ||

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा | 
बिकट रूप धरि लंक जरावा ||

अर्थ : श्री हनुमानजी सूक्ष्म रूप में सीता माता के सम्मुख प्रकट होते है और बिकट रूप लेकर लंका को जलाकर भस्म कर दिया है।

चौपाई || 10 ||

भीम रूप धरि असुर संहारे | 
रामचन्द्र के काज संवारे ||

अर्थ : श्री हनुमान जी ने बलशाली भीम रूप धारण कर कई असुरो का वध ( मारा ) कर श्री रामजी के बड़े काम किये है | 

चौपाई ॥11॥

लाय सजीवन लखन जियाये,
श्री रघुवीर हरषि उर लाये

अर्थ :लक्ष्मण को शक्ति लगने के बाद हनुमानजी ने संजीवन बूटी लाकर लक्ष्मण को नया जीवन प्रदान किया इसलिए रघुनाथ ( राम ) हनुमान जी पर बड़े प्रसन्न हुए | 

चौपाई ॥12॥

रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई,
तुम मम प्रिय भरत सम भाई

अर्थ : श्री रामजी हनुमानजी बढ़ाई करते हुए कहते है की,तुम मेरे सगे भाई जैसे ही प्रिय हो,तुम ओर उनमे कोई भी फर्क नहीं है |

चौपाई ॥13॥

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं,
अस कहि श्री पति कंठ लगावैं

अर्थ : हनुमान जी का सहस बदन (हजारों बड़े बड़े शरीर) है फिर भी वह राम की महिमा को गाकर वे श्रीराम जी के प्रति अपनी भक्ति और समर्पण का इजहार करते हैं। इससे हमें पता चलता ही की, श्री राम प्रति भक्ति कितनी गहरी है।

चौपाई ॥14॥

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा,
नारद, सारद सहित अहीसा

अर्थ : इस चौपाई में,हनुमान जी की दिव्यता का वर्णन करते हुए कहा है की, ब्रह्मा और अन्य ब्रह्मर्षियों के साथ हनुमान जी के दर्शन करने से सारे दुःख दूर होते है ।

चौपाई ॥15॥

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते,
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते

अर्थ : हनुमान जी की महिमा को व्यक्त करते हुए कहते है की, दूसरे देवता और दिग्पालकों की स्थान स्वरुप अलग है,पर उनसे भी हनुमान जी की अद्वितीय महिमा है।

चौपाई ॥16॥

तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा,
राम मिलाय राजपद दीन्हा

अर्थ : हनुमान जी कहते है की,श्री राम अपने सुग्रीव को राजपाठ दिला कर उनपर पर बहोत बहोत बड़ा उपकार किया है ।अगर आप न होते तो सुग्रीव को राजपाठ कभी न मिलता ।

चौपाई ॥17॥

तुम्हरो मंत्र विभीषण माना,
लंकेस्वर भए सब जग जाना

अर्थ : आपका बिभीषन पर भी बड़ा उपकार है,वो भले ही राक्षक कुल का है परन्तु उसने आपकी बात मानकर लंका का राजपाठ मिला वह लंकाधीश बना ।

चौपाई ॥18॥

जुग सहस्त्र जोजन पर भानू,
लील्यो ताहि मधुर फल जानू

अर्थ : सूरज कई दूर जहाँ हजारो योजन दूर होकर भी उसे अपने एक छोटा फल समजकर खा लिया आप धन्य हो ।

चौपाई ॥19॥

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहि,
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं

अर्थ :आपके लिए कोई काम कठिन नहीं है । जो अपने श्री रामजी की अंगूठी मुँह में रखकर विशाल समुद्र लाँघ लिया है । यह आपके लिए कोई बढ़ा आचार्य नहीं है ।

चौपाई ॥20॥

दुर्गम काज जगत के जेते,
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते

अर्थ : संसार मै बड़ी कठिनाई है । पर जिनपे आपकी कृपा हो उनके लिए कोई भी कार्य कठिन नहीं है । आपकी कृपा होते ही सारे काम सहज हो जाते है ।

hanuman chalisa  ( दोहा 21-30 )

चौपाई ॥21॥

राम दुआरे तुम रखवारे,
होत न आज्ञा बिनु पैसारे

अर्थ : श्री राम के द्वार के आप रखवाले है ।आपके आज्ञा बिना पवित्र दरबार में कोई प्रवेश नहीं पा सकता है ।

चौपाई ॥22॥

सब सुख लहै तुम्हारी सरना,
तुम रक्षक काहू को डरना

अर्थ : जो भी आपके शरण में आ जाता है, उसे किसी का कोई डर नहीं है । उन्हें जीवन मै सुख समृद्धि मिलती है साथ ही  उसकी आप सदैव रक्षा करते है ।

चौपाई ॥23॥

आपन तेज सम्हारो आपै,
तीनों लोक हाँक ते काँपै

अर्थ : श्री हनुमान जी आप बड़े बलशाली हो । आपका बल आप स्वयं ही संभल सकते हो आपकी बालशालिता देख तीनो लोक कापते है ।

चौपाई ॥24॥

भूत पिशाच निकट नहिं आवै,
महावीर जब नाम सुनावै

अर्थ : हनुमान जी के नाम की महिमा का वर्णन करते हुए कहा गया है की,उनके नाम मात्र से भूत पिशाच भाग जाते है । आपके भक्त को कोई डर नहीं होता है 

चौपाई ॥25॥

नासै रोग हरै सब पीरा,
जपत निरंतर हनुमत बीरा

अर्थ :जो आपका निरंतर नाम जप लेते है,उनके जीवन के सब दुःख,सब पीड़ा नष्ट हो जाते है वो सदा सुखी हो जाते है

चौपाई ॥26॥

संकट तें हनुमान छुड़ावै,
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै

अर्थ :जो आपका निरंतर मन से आपका ध्यान लगते है,उनको हनुमानजी हमेशा संकटोसे बचते है उनपर कोई आंच अति नहीं है

चौपाई ॥27॥

सब पर राम तपस्वी राजा,
तिनके काज सकल तुम साजा

अर्थ :स्वयं श्री राम भगवन है, फिर भी उनके हर कार्य को आपके द्वारा ही पूरा किया गया है,यह आपका बड़ा संपादन है

चौपाई ॥28॥

और मनोरथ जो कोइ लावै,
सोई अमित जीवन फल पावै

अर्थ : हे हनुमानजी आप बड़े कृपालु हो आप हर भक्तो को मनचाहा फल प्राप्त कर देते है, चाहे क्यों न आपका भाग्य सोया हो

चौपाई ॥ 29॥

चारों जुग परताप तुम्हारा,
है परसिद्ध जगत उजियारा

अर्थ : हनुमान जी की स्तुति करते हुए कहाँ गया है की,हे बजरंग बली चारो युगो में आपका ही प्रताप है,दुनिया मै ऐसा कोई ना हो जो तुम्हे न जनता हो

चौपाई ॥30॥

साधु सन्त के तुम रखवारे,
असुर निकंदन राम दुलारे

अर्थ : हनुमान जी की स्तुति करते हुए कहाँ गया है की,हे हनुमान आप साधु संत के रखवाले है आप असुरों के सहांर करने वाले है और श्री रामके अत्यंत प्रिय भी है

शुद्ध हनुमान चालीसा ( दोहा 31-41 )

चौपाई ॥31॥

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता,
अस बर दीन जानकी माता

अर्थ : हनुमान जी की सिद्धि के बारेमे कहाँ गया है की,हनुमान जी को आठ सिद्धि और नौ निधि प्राप्त है,जो सीता माता के कृपा प्रसाद से उन्हें मिली है

चौपाई ॥32॥

राम रसायन तुम्हरे पासा,
सदा रहो रघुपति के दासा

अर्थ : हनुमान जी की भक्ति के बारेमे कहाँ गया है की,हनुमान जी अनंत काल से श्री राम जी के सबसे बड़े भक्त है और सदा उनके दास बनके रहने की आशा करते है

चौपाई ॥33॥

तुम्हरे भजन राम को पावै,
जनम जनम के दुख बिसरावै

अर्थ : हे हनुमान जी आपकी भक्ति से जनम जन्म के दुःख हमेश के लिए दूर हो जाते है जीवन मै सदा के लिए मुक्ति देनेवाले श्री राम की कृपा हो जाती है और दुखों को हमेशा के लिए भूल जाते है

चौपाई ॥ 34॥

अन्त काल रघुबर पुर जाई,
जहाँ जन्म हरि भक्त कहाई

अर्थ : इस चौपाई मै कहा जाता है की,अंत समय मुर्त्यु के बाद भगवन के द्वार जाता है और अगला जनम होते ही भक्त रूप मै विलीन हो जाता है

चौपाई ॥35॥

और देवता चित न धरई,
हनुमत सेई सर्व सुख करई

अर्थ : लोग कई देवताओ की पूजा करते है पर सिर्फ आपकी पूजा करने से ही सभी सुख और फल की प्राप्ती हो जाती है

चौपाई ॥36॥

संकट कटै मिटै सब पीरा,
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा

अर्थ : जो नियमित रूप से हनुमान जी का ध्यान धारणा करते है उनके जीवन की सभी प्रकार की पीड़ा,संकट दूर हो जाते है

चौपाई ॥37॥

जय जय जय हनुमान गोसाईं,
कृपा करहु गुरु देव की नाई

अर्थ : हे हनुमान मुनी आपकी जय जय हो आप हमपर सदा गरू बनकर कृपा करते रहे

चौपाई ॥38॥

जो सत बार पाठ कर कोई,
छुटहि बँदि महा सुख होई

अर्थ : जो भी भक्त रोज नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करता है,उनके सारे कष्ट दूर होकर उनका जीवन महान सुख शांति की प्राप्ति कर लेता है

चौपाई ॥ 39॥

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा,
होय सिद्धि साखी गौरीसा

अर्थ : जो रोज नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करता है उनको निश्चित ही सिद्धि प्राप्त होती है

चौपाई ॥40॥

तुलसीदास सदा हरि चेरा,
कीजै नाथ हृदय मँह डेरा

अर्थ : हे हनुमान जी, तुलसीदास सदैव प्रभु श्रीराम का भक्त है ऐसा समझकर आप मेरे ह्रदय में निवास करें। और मेरा जीवन सदा सुखी रहे

चौपाई ॥41॥

पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुरभुप॥

अर्थ : हे बलशाली मंगल मूर्ति पवन पुत्र हनुमानजी आप सदा मेरे ह्रदय में राम,लक्ष्मण माता सीता सहित सदा वास करे यही मेरी बिनती है

hanuman chalisa

हनुमान चालीसा का पौराणिक और धार्मिक महत्व

हम पिछले कुछ सालोसे हनुमान चालीसा के बारमे जाणते है पर इसका उल्लेख प्राचीन हिन्दू पौराणिक ग्रंथ “रामचरित मानस” में देखणे को मिलता है। दरसल इसे भगवान श्रीराम के महान भक्त श्री हनुमान जी की महिमा का वर्णन करने हेतू लिखा गया है। हनुमान चालीसा में कुल 41 श्लोक हैं, जिनमें हनुमानजी कि राम भक्ती,उनकी कल्याणकारी शक्तियां, और उनके भक्तों के प्रति उनकी कृपा प्रसाद का वर्णन किया गया है। और यह सारे ग्रंथो मे सबसे पावन,शक्ती वर्धक माना जाता है । वैसे तो यह चालीसा हनुमान की आराधना के लिये विशेष रूप से पठण किया जाता है और इसके पाठ और श्रवण मात्र से करोडो भक्त के जीवन में अदभूत,सकारात्मक परिवर्तन अनुभव करते हैं।

हनुमान चालीसा के फायदे

1. आशीर्वाद और सुरक्षा 
हनुमान चालीसा का पठन तथा श्रवण करने से हमपर भगवान श्री हनुमान तथा श्री राम जी का आशीर्वाद प्राप्त होता हैं। हम पे हमेशा कृपाद्रीष्टी बनी राहती है,हमारे जीवन में सुरक्षा बनी राहती है और हम अपने सभी संकटों को पार करने की क्षमता प्राप्त होती हैं ।

२. मानव जन्म से मुक्ती
 काहा  जाता है कि,जन्मा हार प्राणी मुर्त्यू पाता है, पर उसे  लक्ष चौऱ्याशी जन्म मरण के फेरो से मुक्ती नाही मिळती है । हार कोई इस मुक्ती हेतू कई प्रकार के होम-हवन,जप-तप करते है, पर मुक्ती नही मिलती  पर हनुमान चालीसा पठन तथा श्रवण मात्र से हमारे मुक्ती के द्वार खुले हो जाते है 

3. भक्ति और आत्मविश्वास
हनुमान चालीसा के पाठ से भक्ति और भी गहरी हो जाती है,आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। हनुमान चालीसा हमें अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए संघर्ष करने की साहस और सामर्थ्य प्रदान करता है।

4. रोग निवारण
हनुमान चालीसा का पाठ करने वाले भक्तो को बल कि प्राप्ती होती है इसलिये वह रोग,बिमारी से हमेशा सुरक्षित राहते है। उनाका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य सुधारने में हनुमान चालीसा बल प्रदान कर विभिन्न प्रकार के बीमारियों से बचाव करता है।

5. शांति और सुख
हनुमान चालीसा का नियमित पठन करने से भक्तो के घर मे हमेशा शांति बनी राहती है साथ हि उन्हे सुखमय जीवन की प्राप्ति होती है। चालीसा पठन करणे से मानसिक स्थिति स्थिर राहती है इसलिये भक्तगण हमेशा आनंद,सुखमय और तनाव मुक्त जीवन का अनुभव करता है।

हनुमान चालीसा पाठ करणे कि सही विधी

हनुमान चालीसा का पाठ और श्रवण तो लाखो भक्त करते है पर उन्हे उसका मानवांछित फल नही मिळता है । इसका एकमात्र कारण है कि, भक्तो को हनुमान चालीसा पठण करणे कि सही विधी हि पता नही है । इसलिये सही विधी जानना बेहती हि जरुरी है । इस विधी को शुद्ध भाव से पुरा करणा है तब जाके हमे पूर्णरूप से फल प्राप्त होता है । नीचे दिये विधी को शुद्ध भाव से जरूर करें आपको अवश्य लाभ होगा ।

सबसे पहले आपको स्नान कर शुद्ध होना है 

पूजा के लिए एक मंदिर जाहा पूर्ण शांती हो ऐसा स्थान,या फिर घर का पूजा कक्ष, या घर का कोई भी स्थल जो शांत हो । अगर घर के और भी सदस्य आपके साथ है तो, जहाँ परिवार के सभी सदस्य बैठ सकें।

अब पूजा स्थल पर धूप या दीपक जलाये 

मन प्रसन्न करणे हेतू फूल, गंध, और अक्षत तैयार करें,जो आरती के समय काम आये 

अब सबसे पहले,फूल को भगवान हनुमान की मूर्ति या छवि पर चढये ।

गंध और अक्षत को मूर्ति या छवि पर डालें । अब ओम का जाप कर अपने मन को शांत करें।

उसके बाद फिर मन,वचन,और भाव से हनुमान चालीसा का पाठ करें।

चालीसा पठन होणे के बाद आपको हनुमान कि आरती करणी है ।

पूजा समाप्त होने पर,भगवान श्री हनुमान को प्रणाम करें और अपनी मनोकामनाएँ मांगें।

आप इसे रोज़ सुभह-शाम या फिर दिनमे एकबार शाम को रोजना कर सकते है .
जिससे आपकी सारी मनोकामना पुरी हो सके

श्री हनुमान जी कि आरती | hanuman arti

hanuman chalisa

॥ श्री हनुमंत स्तुति ॥

मनोजवं मारुत तुल्यवेगं,
जितेन्द्रियं, बुद्धिमतां वरिष्ठम् 
वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं,
श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे 

॥ आरती॥ hanuman arti॥ 


आरती कीजै हनुमान लला की 
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की 

जाके बल से गिरवर काँपे 
रोग-दोष जाके निकट न झाँके 
अंजनि पुत्र महा बलदाई 
संतन के प्रभु सदा सहाई 
आरती कीजै हनुमान लला की 

दे वीरा रघुनाथ पठाए 
लंका जारि सिया सुधि लाये 
लंका सो कोट समुद्र सी खाई 
जात पवनसुत बार न लाई 
आरती कीजै …

लंका जारि असुर संहारे 
सियाराम जी के काज सँवारे 
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे 
लाये संजिवन प्राण उबारे 
आरती कीजै ….

पैठि पताल तोरि जमकारे 
अहिरावण की भुजा उखारे 
बाईं भुजा असुर दल मारे 
दाहिने भुजा संतजन तारे 
आरती कीजै …

सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें 
जय जय जय हनुमान उचारें 
कंचन थार कपूर लौ छाई 
आरती करत अंजना माई 
आरती कीजै …

जो हनुमानजी की आरती गावे 
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे 
लंक विध्वंस किये रघुराई 
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई

आरती कीजै हनुमान लला की 
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की 

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